My First Crush & Last – Last Part

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कई दिन बीते और फिर एक दिन राकेश ने अपनी हद्द पार कर दी उसने स्कूल के भईया को गाली भी दिया और बड़े गंदे लहजे में उसने कहा अबे चपरासी बेल बजा न दीखता नहीं छुट्टी होने का वक़्त हो गया है मैं उसी जगह था पानी टंकी के पास पानी पि रहा था इतना सुनना था मैं उसके पास गया आओ देखा न ताओ उसका कालर पकड़ा घुमाया और एक जोर दार तमाचा उसके गाल पे दे मारा इतने में उसने भी मेरा कालर पकड़ लिया तभी सब लड़के और लड़की मेरी तरफ से आ कर खड़े हो गए क्योकि सब से मेरी अच्छी बनती थी ! मैंने तुझे कई बार कहा है न की स्कूल के रूल्स फॉलो करने को लेकिन तू हर बार ऐसा ही करता है हम लोगो ने आज तक कभी इन्हें इस तरह से नहीं कहा और तू कल का आया इनसे इस तरह बात कर रहा है तेरे माँ बाप ने तुझे तमीज नहीं सिखाई है क्या ? मैं उसे खींचते हुए प्रिंसिपल ऑफिस ले गया और उसकी शिकायत की प्रिंसिपल काफी शख्त मिजाज की थी उसने उन सभी बच्चो को स्कूल के बाहर का रास्ता दिखाया जो गुंडा गिरदी करते थे उसने आते साथ ही अपने पहले महीने में सभी टीचर्स से उन सभी बच्चो की लिस्ट मागे जो स्कूल नहीं आते या आए भी तो क्लास में नहीं बल्कि बाहर घूम रहे होते और उन सब को स्कूल से बाहर निकाल दी ये पूरा मामला पेपर में भी आउट हुआ ! इस बार इसकी पारी थी प्रिंसिपल ने उसे अपने माँ बाप को बुलाने के लिए कहा तुम्हारा कल इस स्कूल में आखरी दिन होगा ! पहली बार प्रिंसिपल ने मुझे डाटा था क्योकि मैंने उसे एक जोर का थप्पड़ जो जड़ दिया था ! खैर छुट्टी हुई और मैं घर जाने लगा इतने में मुझे रास्ते में वो नज़र आई मैं मुँह फैर के जाने लगा उसने मुझे आवाज दी रुकने के लिए कहा में रुका और पास आई मुझसे बोली मैं नहीं जानती की तुम्हारे और राकेश के बीच क्या हुआ है लेकिन मैं बस इतना कहना चाहती हूँ की प्लीज तुम कुछ करो कुछ भी करके उसका नाम स्कूल से काटने से बचाओ ! उसने जो हरकत की है उसके साथ यही होना चाहिए मैंने उसे पहले भी वार्न किया था लेकिन वह माने तब तो , मैं समझ गयी तुम मेरा बदला उससे ले रहे हो मैंने तुम्हे न कहा उसी का बदला ले रहो हो न तुम , ये तुम क्या कह रही हो ! मैं वहाँ से चला गया अगले दिन प्राथना के बाद सीधे प्रिंसिपल के पास गया और उनसे रिक्वेस्ट किया की वो राकेश को स्कूल से न निकाले इससे उसका पूरा साल ख़राब हो जायेगा आखिरकार मैडम मान गयी ! उसे स्कूल से नहीं निकाला गया शाला नायक का चुनाव हुआ वो मेरे विपक्ष में था और साथ ही वो भी लेकिन मैं जीत गया ! पूरा साल बीत गया आखरी दिन मैंने उसे एक बार और पूछा क्या तुम ये बता सकती हो की मैं तुम्हारे दोस्ती के काबिल क्यों नहीं हूँ ! वो कुछ नहीं बोली बस नज़रे नीची करके चली गयी उसके बाद हम एक ही कॉलेज में पढ़े राकेश ने पढाई छोड़ दी मैंने और उसने कॉलेज पूरा किया उसने उससे शादी भी कर ली राकेश के पिता के पास काफी रुपये थे तो उसने कभी काम ही नहीं किया मैं काम करता रहा और सब कुछ हासिल करता रहा जो मुझे सुख दे अपना घर अपनी गाडी सब कुछ मेरा खुद का था मुझे विरासत में कुछ नहीं मिला था ! एक रोज मैं बाजार गया जैसे ही कार से उतरा एक आवाज आई बाबु जी सब्जी ले लो ताजी है मैं पलटा और बस दंग रह गया मैंने उसे देखा और उसने मुझे कॉलेज से निकलने के बाद ये हमारी पहली मुलाकात थी करीब सात साल बाद उसके बाजु मैं उसका हस्बैंड राकेश था वह भी मुझे देखा लेकिन फिर अपनी नज़रे झुका लिया ! लेकिन वो मुझे और मैं उसे देखते रह गया थोड़ी देर बाद वो मुस्कुरा दी और मैं भी मुस्कुरा दिया और बस उस रोज़ मैंने कुछ नहीं खरीदारी की वापस लौट आया एक बात बताओ तुमने अभी तक शादी क्यों नहीं की ? मैंने अभी शादी नहीं की अभी भी एक सही लड़की की तलाश में हूँ उम्मीद है जल्द ही यह तलाश पूरी हो जाएगी ! मुझे नहीं लगता की ये मेरे सवालो का सही जवाब है फिर भी तुम कहते हो तो मान लेता हूँ, क्या मतलब है तुम्हारा यह कहने का ? नहीं कुछ भी नहीं , नहीं तुम मुझे बताओ ? वो जिद करता रहा और फिर हम दोनों जोर से हसने लगे !

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मैंने उससे बार बार ये पूछा आखिर तुम दोनों मुस्कुराये तो किस बात पे चलो तुम मुस्कुराये क्योकि तुम्हारी हालत सुधर चुकी थी अब तुम एक कामयाब इंसान हो चुके थे या फिर यह भी हो सकता है की तुम इस लिए मुस्कुराये की जिस लड़की ने तुम्हारी दोस्ती ठुकरा दी जिसके लिए आज उसके साथ मिलकर सब्जी बेच रही है या फिर तुम खुश हुए होगे उसे इस हालत पे देख कर की कितना गलत फैसला था उसका लेकिन आखिर वो क्यों मुस्कुराई क्या वो तुम्हारी कामयाबी से वाकई खुश थी अरे तुमने तो उससे सब्ज्जी भी नहीं खरीदी की चलो इसी बहाने मुस्कुरा दी हो समझ नहीं आया भाई आखिर राज़ क्या है इसके पीछे !

वो तो एक राज़ है अंसारी तुम उसे चाहे जैसा समझ लो बस यही मेरी और उसकी इतनी सी कहानी है तुम उस एक मुस्कुराहट का जो चाहो मतलब निकाल सकते हो जैसा तुम्हारा दिल चाहे या जैसा तुम्हारा दिमाग कहे बस उसे कबूल कर लो ये मत देखो की वो राज़ क्या है क्योकि वह तो सिर्फ मै जानता हूँ और वो, लेकिन इतना कह सकता हूँ हम दोनों के मुस्कुराने की वजह अलग अलग नहीं है अब तुम इसे जैसा चाहो वैसा देखो कोई फर्क नहीं पड़ता !

The End

Read to first part so please click the link :- https://meraaqsh.wordpress.com/2017/08/27/my-first-crush-last/

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© 2017 Md. Danish Ansari

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