ओ मेरे……. हमसफर…….

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ओ मेरे……. हमसफर…….
तेरे आने से कुछ तो हुआ है असर
तेरा यूँ आना मुझे सताना और छुप जाना
क्या कहूँ
हाहाहा ह्म्म्म
सपनों में आना नींद चुराना और छुप जाना
क्या कहूँ
मेरा क्या होगा सोचो तो जरा…..
यूँ नज़रो से न दिल चुराया कीजिये
खुद को ही आइने में देख के हम, कुछ ऐसे सरमा गए
ह्म्म्म हाहाहाहा
अभी उनसे मिलने में देर है अभी से क्यूँ घबरा गए
अभी बाकी है सभी मोहब्बत की घड़ी
कुछ वक़्त हमारे साथ बिताया कीजिये
ओ मेरे ……..हमसफर………
तेरे आने से कुछ तो हुआ है असर
यूँ तो अकेला भी अक्सर, हर सफर तय करता हूँ मैं
हाहाहा ह्म्म्म
तुम जो दे दो साथ मेरा, हर मंज़िल पा सकता हूँ मैं
मांगा तुम्हे हमेशा चाहा तुम्हे हमेशा
अब खुद ही सनम फैसला कीजिए
ओ मेरे……..हम सफर ……
तेरे आने से कुछ तो हुआ है असर।
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ये गीत उस दोस्त को समर्पित जिसने मेरी ज़िन्दगी में आ कर मेरी ज़िन्दगी को नया आयाम दिया ! हमारा साथ ज्यादा वक़्त तक तो नहीं था पर जो भी था कमाल का था ! एकतरफा मुहब्बत की कशिश उसका हर एक एहसास कमाल का होता है और ये बाते वो हर इंसान जानता है जिसे कभी न कभी अपनी ज़िन्दगी में किसी से एक तरफ़ा मुहब्बत हुई हो !
Md. Danish Ansari

8 विचार “ओ मेरे……. हमसफर…….&rdquo पर;

      1. ये मैं कैसे तय कर सकती ये तो आप ही तयकर बता सकते हैं या तो वो दोस्त जानेगा जिसे आपने समर्पित किया है। मैं तो आपकी दोस्त हूँ ही नहीं। ये बात अलग है कि मैं एक कवियत्री जरूर हूं भावनाओं को पढ़कर समझ सकती हूं बस। बाकी तय करना मेरा अधिकार नहीं बनता है और हो सकता है मुझे ही आपसे नहीं पूछना चाहिए था। मैं तो ऐसे ही पूछ लिया था क्योंकि यह एक कविता नहीं था न लेख न कहानी। ज्यादातर लोग कल्पना की उपज ही बताते हैं हकीकत जो भी हो इस लिए।

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