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अफज़ल को सबसे कोने वाली सिट मिली वह उस जगह से सब पर एक साथ नज़र रख सकता था मगर दुसरे उस पर नहीं यह भोजनालय बहुत ही अच्छा और साफ सुथरा था
सभी अपने भोजन का आनन्द ले रहे थे और अपने आपसी बात चित में व्यस्त किसी को किसी खास सख्स में कोई दिलचस्पी नहीं थी अब तक तो ऐसा ही था
थोडी देर बाद एक लड़की वहा आयी और सबकी दिलचस्पी बदल गयी वहा कुछ शादी शुदा और कुवारें जोड़े भी थे और मेरी दिलचस्पी इन लोगो में बढ़ने लगी कितनी अजीब बात है की सिर्फ एक लड़की ने उस मुआशरे का पूरा माहोल ही बदल दी
जाहीर सी बात थी अगर ऐसा हुआ है तो वह लड़की काफी खूबसुरत होगी और जाहीर है वह है भी
वो लड़की अपना order लेकर दुसरे कोने वाली सिट पे बैठ गयी जो मेरे काफी करीब थी इतने में अफज़ल मेरे करीब आया और मेरे बाजू में बैठ गया जो अब खाली थी
आते साथ ही कान की पास आ बोला भाई देख तो कितनी खूबसुरतखूबसुरत है यार मैने झट से कह दिया भाई सिर्फ सुरत ही अच्छा है सिरत भी अच्छी होनी चाहिए , यार तू तो हमेशा हर किसी में खोट निकाल देता है , देख भाई अफज़ल बात खोट निकालने की नहीं है बात है पसंद और ना पसंद की तू सिर्फ सुरत देख रहा है जबकी मेरे लिए सिरत भी अच्छी होनी चाहिए वैसे भाई देखने में तो सिरत भी अच्छी ही दिख रही है, अच्छा और भला कैसे , अबे आँख के अंधे तुझे दिखता नहीं क्या देख किस तरह खूबसुरती से उसने हिजाब बांधा है , वो तो मुझे भी दिख रहा है लेकिन इससे यह साफ नहीं होता की उसकी सिरत उसके हुस्न से भी ज्यादा खूबसुरत है , भाई अब तू ऐसे कहेगा तो फिर तू कुवाराँ मरने वाला है
अच्छा और वो भला कैसे , क्योकि हर इंसान में कुछ ना कुछ कमी है , वो तो है लेकिन मैं खूबसुरती की मायने कुछ और देखता हूँ और तुम कुछ और हर इसान एक दुसरे से अलग है उसके बावजुद वो एक भी है
इतने में हम सब का खाना हो गया और मैं उठने लगा थोडी ही देर में वो लड़की भी उठी और इसके साथ वहा बैठे लोगो का दिल जो इतनी देर से उसकी तरफ लपक रहा था धाडाम से लड़ खडा की गीर पड़ा सबकी ऊमीदो पे यकायक किसी ने पानी फेर दिया
जब वो लड़की उठी तो उसके हिजाब का कपडा टेबल की कोने से फंस गया जिससे उसका हीजाब खुल गया
और तब जा कर सब लोगो की दिलचस्पी फिर से बदल गयी
इसकी वजह यह थी की उस लड़की के बाल नहीं थे या थे तो उसने उसे मुडवा दिये होंगे खेर उसकी खूबसुरती से जब यह हिस्सा लोगो को दिखा तो सबका रुख बदल गया
लेकिन मेरी दिलचस्पी अब जाग गयी क्योकि जब यह सब हुआ तो वो ज़रा भी घबराई नहीं और बड़े आराम से उठी और अपना हीजाब लेकर बाहर जाने लगी इतने में एक फ़कीर वहां आ धमका और उसने उसे कुछ रूपये दिये और बाहर ही से हीजाब बांधते हुए जाने लगी
और तब मेरे मुंह से निकला सुब-हान-अल्लाह क्या कयामत ढ़ाती खूबसुरती पाई है उसने
और बस इतना कहना था की अफज़ल अपना माथा पकड लिया , भाई सच में तुझे कोई नहीं समझ सकता , क्यों मैं कोई गणित का सवाल हूँ ज़िसे लोग समझे
यार तूने देखा नहीं उसके बाल ही नहीं थे , तो क्या हुआ यार , भला बिना बालो वाली लड़की खूबसुरत हद्द है यार एक बार लड़को की बात अलग है लेकिन लड़की नो वे
यही तो फर्क है नजरों का तू बाहर देख रहा था और मैं अंदर देखने की नाकाम कोशिश लेकिन उस एक घटना ने मुझसे उसकी अंदर की खूबसुरती का दीदार करा दिया
एक दिन ऐसा वक़्त भी आयेगा जब तू भी उस खूबसुरती से रू-बा-रू होगा और यकीन जान जब यह होगा तो वह वक़्त सबसे अच्छा वक़्त होगा
यह ऐसा इसलिये है की हमने खूबसुरती का मतलब और उसके मायने उसका पैमाना सेट कर रखा है मर्दो के लिए अलग औरतो के लिए अलग बच्चो के लिए अलग हर किसी के लिए अलग अलग
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© 2017 Md Danish Ansari
सही है। खूबसूरती अंदर से होनी चाहिये।
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ji ha rekha ji sath hi har haal me apne aatm vishvas ko barkaraar rakhna yah bahut badi baat hai
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bilkul thik. 🙂 .
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Bahut khubsurat kahani likha apne….sach me khubsurati andar se hoti hai magar insaan dimag me sabke khubsurti ka paimana rach akha hai…..
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बहुत खूब अंसारी जी। विल्कुल सही कहा है आपने। 👌👏
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