Pic Source :- Google
बड़े दिनो के बाद अचानक वो मुझसे मिले दोस्तों
मेरी साँस रुक गयी और दिल की धड़कने बढ़ गयी
उस एक एहसास को हम बयां नहीं कर सकते
कुछ एहसास अनमोल होते है उनके लिए कोई शब्द नहीं होते
पता नहीं क्यूँ मैं उनसे आँखें नहीं मिला पाया
आज वो मुझे देखते रहे मैं उनसे नज़रे चूरा लाया
उनके चेहरे पे मुस्कुराहट बहुत अच्छी लग रही थी
उन्हे कैसे बताते दोस्तों आज ये दिल भी मुस्कुराया था
कई महीनो के बाद आज मेरी रूह भी मुस्कुरा बैठी
आज महीनो बाद बहुत अच्छा मेहसुस हुआ मुझे
ऐसा लग रहा है जैसे ज़िन्दगी से जा मिला हूँ मैं
कितनी अजीब बात है दुनिया भर में अपना सुकुन तलाशते रहे
वो मिला भी तो कहाँ एक बिछड़े हूए दोस्त में
कुछ भी कहो दोस्तों आज बड़ा क़माल का दिन रहा
दिन रोज़ की तरह था बस उसका आना कमाल का रहा
________________________________________________________________________________
© 2017 Md. Danish Ansari
Kamal ka poem h Danish bhai. Mere taraf se eid ul azha ki Mubarak. Takabbal lahu minna wa minkum.
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
sukriya or apko bhi
पसंद करेंपसंद करें
Sukuun ko faqat mahsoos karnaa hi bhalaa lamhe yaado mei bhi achcha mahsoos karayenge bhaijaan.
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
sukriya
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Always WC bro
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
शानदार लिखा है दानिश जी।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
sukriya Madhusudan ji
पसंद करेंपसंद करें
बहुत खूब।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
sukriya
पसंद करेंपसंद करें