कुछ न कहो कुछ भी न कहो, मेरे लब जो तेरे लब से लगे
इनको तुम अब जुदा न करो, कुछ न कहो कुछ भी न कहो
तेरा साथ जो पा लिया, तेरा हाँथ जो थाम लिया
आंखों में बसा के तुम्हे, अपने दिल मे उतार लिया
तूम जो आ गए हो तो, इस दिल को करार आ गया
कुछ न कहो कुछ भी न कहो, तेरी पायल जो खनके
मेरा दिल यूँ धड़ धड़ धड़के, मुझे इस तरह घायल न करो
तेरी गंगन जो खनके, मेरा मन यूँ बार बार मचले
तेरी याद जो आये मुझे, बस कुछ न कहो कुछ भी न कहो
तेरी बिंदिया जो चमके जैसे चांद यूँ चम चम चमके
तेरी चुनरी जो सर सर सरके हवा को मदमस्त कर दे
तेरी याद आये मुझे, कुछ न कहो कुछ भी न कहो
ऐसे तिरछी निगाहों से न देखो कुछ तो रहम कर दो
घायल दिल हाय मेरा इसको कुछ तो करार दे दो
कुछ भी न कहो कुछ भी न कहो
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© 2017 Md. Danish Ansari
Bahut khoob..
Kuch na kahi Kuch bhi na kaho, teri aankhon se bayan mere pyaar ke har ek kisse….
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sukriya
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कुछ न कहो कुछ भी न कहो, मेरे लब जो तेरे लब से लगे
इनको तुम अब जुदा न करो, कुछ न कहो कुछ भी न कहो–कमाल कर दिया आपने।
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sukriya madhusudan ji
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कुछ न कहकर बहुत कुछ बोल लेते हो
इश्क़ भी तुम कितने कमाल करते हो…
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wah bahut khub poonam ji
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Saandar…. 👌👌
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Thanku danish ji…
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बहुत ही अच्छे से लिखा है। अंसारी जी।
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sukriya rajni ji apko pasand
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Wow..😮😮😮
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