मैं इंसान हूँ

बहनो की डोली उठ गयी
भाइयो का निकाह हो गया
न दर्द में किसी का बाट सका
न खुशियों खुशियों का मेहमान हुआ
अपने ही इस देश में मैं सबके शक का ग़ुलाम हूँ
मैं इस देश के दोतरफा कानूनों का मुज़रिम हूँ
मैं मोहम्मद रफीक हूँ
मैं मोहम्मद हुसैन हूँ
कसूर है मेरा ये के मैं मुसलमाँ हूँ
कसूर है मेरा मैं ईमान ए मोहम्मद हूँ
हा मैं इस देश का मुस्लमान हूँ
समझ में ही नहीं आता कैसे यकीं दिलाऊँ मैं
इस मुल्के शाम को यकीन
जिसे मैंने अपने खून से सींचा है
मैं तो इसी मिट्टी में जन्मा फिर मैं तुमसे अलग क्यों हूँ
हा मैं इस देश का सच्चा मुस्लमान हूँ
अब जो माँ को देखता हूँ तो फुट फुट कर रोने को दिल चाहता है मगर
माँ के आँसू कौन पोछेगा ये सोच कर हर बून्द पी जाता हूँ
हा मैं मोहम्मद रफीक हूँ
हा मैं मोहम्मद हुसैन हूँ
हा मैं इस देश का सच्चा मुस्लमान हूँ
मेरा मजहब नफरत नही सिखाता
तेरा मजहब नफरत नही सिखाता
तो फिर बताओ ए लोगो मैं किसकी नफरत का शिकार हूँ
हा मैं मुस्लमान हूँ
इन्साफ तो हो गया मेरे साथ तुमने कह दिया
पर क्या कभी सोचा है ये इन्साफ भी खुद
अपने आप में एक सज़ा है
अब तो अपनों को पहचानने के लिए
पूछते फिरता हूँ एक वक़्त हो गया उसके नज़ारे लिए हुए
क्या मैं अपने देश का गद्दार हूँ
क्या मैं आने  देश का दुश्मन हूँ
क्या मैं तुम्हारा गद्दार हूँ
क्या मैं तुम्हारा दुश्मन हूँ
अगर मैं नही हूँ तो फिर तुम मुझे अपनाते क्यों नही
क्यों तुम मुझे अपने जैसा समझते नही
क्या इस लिए के मैं मुस्लमान हूँ
तो सुनो हा मैं एक सच्चा मुस्लमान हूँ
लेकिन उससे पहले मैं एक इंसान हूँ
हा मैं भी एक इंसान हूँ
हा मैं मुसलमान हूँ
हा मैं मोहम्मद रफीक और हुसैन हूँ
मैं इस देश का लाल हूँ
मैं मुस्लमान हूँ
मैं इंसान हूँ
By:- Md_Danish_Ansari

50 विचार “मैं इंसान हूँ&rdquo पर;

  1. हिंदू मुस्लिम एक जुट हो। मैं इंसान हूं जो आपने लिखा है केवल एहसास किया जा सकता है। शब्दों से तारीफ कर पाऊं मेरे लेखनी में दम नहीं और न मुझमें।

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      1. लेखनी तभी सच लिखती है जब आप गस्से में हो खुशी में हो दर्द में हो क्योंकि इस समय हमारी सोचने की शक्ति खत्म हो जाती है और आत्मा जागृत हो जाती है जो ईश्वर या अल्लाह का अंश ही है इसलिए हम सच लिख पाते हैं जिसे सरस्वती का वरदान कहते हैं। जैसे मेरे कविता को जो पढ़ता है कहता है सरस्वती का वरदान है। ऐसा मैने भी महसूस किया है क्योंकि मैं जब भी लिखती हूँ मुझे स्वयं को बोध नहीं होता कि मैं क्या लिखती हूँ।

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      2. Mane ab tak 68 kwita lekh sab मिलकर post kiya ha usme se aapne jayada से jayada se jayada 3.4 kwita padhi hai to abhi aapne meri लेखनी की tarikh kase kar di pahale meri lekhani ke द्वारा लिखे रचना को padhia तब कुछ kahia. Mane to sari रचना पढ़ा जिसमे dosti ka अंदाज पसंद आया. Or विचार भी।

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      3. मैं भी आप से उम्र में बहुत बड़ी हूं कुछ अनुभव के आधार पर ही कहा है। जैसे मैं केवल अपनी कविता संग्रह करने के उद्देश्य से ब्लाग बनाया। अब पढने का शौक है तो पढना भी शुरू किया तो मैने ब्लॉग पर भी गंदगी देखा। मैं तो सोची ब्लॉग ही डिलीट कर दूं। पर बहुत दिनों तक विचार किया पर सोचा कि गंदगी से कहांतक भागा जाय। लेकिन जब मैं लिखती हूँ तो फेसबुक, ट्विटर और अपने परिचित को भी शेयर करती हूँ। मैं सोची केवल मेरा कविता ही जाता होगा। लेकिन वो पूरा ब्लॉग खुलता है। मुझे तो आज तक समझ में नहीं आया जो एक नजर पडने पर शर्मिंदगी महसूस होता है वो लोग लिख और तस्वीरें डाल कैसे देते हैं जबकि ब्लॉग पर बच्चे भी हैं। वैसे बुरा मत मानिएगा ज्यादा बुरा तस्वीर तो नहीं है पर मुझे पढते समय असहजता महसूस हुआ हो सके तो हटा दीजिए। मैं बताऊंगी नहीं पर दोबारा आपका ब्लॉग जरूर पढूगी मुझे परखना है आपका विचार मेरे विचार से कितना मेल खाता है है। माफ कीजिए गा हक तो नहीं है पर अपना ही समझ के कह गयी हूं।

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      4. main apke vicharo se sahmat hun ho sakta hai ki maine kuch achhi tasveere na post ki ho par main unka chunao kuch soch kar hi karta hun ye jaruri hai ki pathak mujhe or mere vichar ko samjhne ki koshish kare na ki mere prati purvagrah ka sikar bane khair main apke is sujhao par gor karte huye ye jarur dekhunga ki kaha maine jyada ashlil pic post ki hai or use hata bhi dunga ! sukriya jo apne mujhe ye baat kahi

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      5. माफ कीजिएगा अश्लील नहीं कहा है मैंने। इस शब्द का अर्थ बहुत डीप में जा रहा है। मुझे ये शब्द का कहना भी पसंद नहीं है। मैंने कहा मुझे पसंद नहीं आया बस।

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      6. पूर्वाग्रह (purvagrah) मैं किसी के प्रति गलत धारणा नहीं बनाती। बस कहीं विचारों का मेल हो जाता है तो भावनाओं में बह जाती हूँ। मुझे इस बात का हमेशा ग्लानि रहेगी कि मेरी भावना फिर गलत साबित हुई। माफी मांगती हूँ। कवि या कवियत्री भावना में बह ही जाते हैं। इतना साफ साफ शब्दों में अपने विचार रखे फिर भी ये शब्द उपहार मिला।

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      7. मैं जिसका भी ब्लॉग पढ़ती हूं सारा पोस्ट पढ़कर ही दोबारा दूसरे को फालो करती हूं। वैसे मैंने पिछला सारा पोस्ट पढ लिया है। इस पढ़ने के दौरान कॉमेंट में जो त्रुटि हुई हो माँ समझकर माफ कर दीजिएगा। आप मेरे बेटे के उम्र के हैं और माँ शब्दों के कमेंट्स पर ही भावना में बह कर लाचार हो गई। आपके आगे का पोस्ट जरूर पढूगी। आगे फिर माफी मांगते हुए धन्यवाद।

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      8. apko maafi magne ki jarurat nahi hai apne kuch bhi aisa nahi kaha jisse mujhe thes pahucha ho balki mujhe to achha mehsus hua ki aap mere post padh kar usme ki gayi galtiyon se mujhe avgat kara rahi hai inhi chijo se to me khud ko pehle se behtar banata hun.

        mujhe hamesha se aalochak pasand rahe hai chahe school ka waad-vivaad ho ya college me ya fir kisi or topic pe main hamesha vipaksh ki taraf se bolta tha taki aalochak jyada ho or unke sawal bhi taki main apne vicharo ko visaar dete huye un sabhi ko apne jawabo se santusht kar sakun aalochak mere sabse achhe mitra rahe hai.
        apse request hai ki jab bhi apko lage ki main is jagah galat hun to bedhadak kahiye kyoki jab tak aap kahenge nahi main apne andar jhak nahi sakta is liye please maafi mat magiye or meri galtiyon ko ujagar karte rahiye mere liye ye bahut achha hai Rajni ji

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      9. आपका ये कॉमेंट पढकर आँखों की बरसात रुक गई नहीं तो मैं बीमार पड़ एक कुशल मां, एक कुशल गृहिणी का फर्ज कैसे निभा पाती देवी माँ को छोड़कर मुझे खुद भी पता नहीं था।
        चलिए आलोचक पर एक दोहरा लिख लेखनी यानी की बोर्ड को विश्राम देती हूँ।
        निंन्दक नियरे राखिये, आंगन कुटि छवाय।।
        आलोचक बनना भी चाहिए और अपने आसपास रखना भी चाहिए इस से मैं भी 100%सहमत हूँ। इतने सुंदर विचार के लिए तहे मन से सुक्रीया धन्यवाद आपका।

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      10. मैं अपने बच्चे को भी माँ होते हुए भी एक दोस्त बनकर समझा देती हूँ लेकिन निर्णय खुद लेने को छोड़ देती हूँ। तो आपने शब्दों का घाव दिया है यदि मरहम रखना है तो चुनाव खुद ही परिश्रम करना पड़ेगा। एक दिन कल्पना लोक में विचरण करना छोड़ अपना ब्लॉग ही चेक कीजिए निचे हिंसा दे देती हूँ।

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      11. 15 मिनट भी नहीं लगेगा यदि नेट की स्पीड सही है तो मुझे भी आपका ब्लॉग चेक करना ही पड़ेगा बताने के लिए इतना याद थोड़ी रहता है। जा रही हूँ चेक करने। बस इतना ध्यान दीजिए कि पाश्चात्य संस्कृति को छोड़कर भारतीय संस्कृति अपनाकर और हम किस पोस्को में अपनी म

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      12. पोस्को में अपनी मां बहन को देखना नहीं पसंद करते सकते। और दूसरी बात जानता तो सब कुछ सब है पर एक मर्यादा होती है। शादी होती है माँ बाप भाई बहन सब जानता है कि क्या होना है लेकिन मर्यादा निभाना पड़ता है। अब मां बाप के सामने – – – – – – – – – – – – – – – – – – -। इस मर्यादा को ध्यान रखिए चुनाव करने में मदद मिलेगी और मुश्किल आसान हो जाएगी।

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    1. सारी तस्वीर नहीं मात्र दो चार है जो मुझे अच्छा नहीं लगा। वो दो चार तस्वीर आपको सोच कर हटाना है। मुझे देखना है आप मेरे विचारों को कहां तक समझ पाते हैं।

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      1. मैं इंसान हूं आप का लिखा फेसबुक पर शेयर किया है। इस लिए कॉमेंट भी सब पढ रहा होगा। मेरे परिचितों का लाइक आना शुरू हो गया है। फेसबुक पर भी अपने धर्म का——————।अच्छा संदेश था इसलिए शेयर किया है। ताकि समाज कुछ सीख सके।

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