मेरे कलम से…

मलाल तो हमेशा मुझे इस बात का रहेगा

चंद लफ्जों के इंतज़ार में तूने मोहब्बत ठुकरा दी

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मेरे जाने के बाद इतनी तो इमानदारी बख्शना

कोई पूछे तो बता देना किसी का दीवाना मैं था

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मेरी सांसो की गर्माहट में इस क़दर बस गए हो तुम

हर साँस को अब खर्च करने से डर लगता है

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पिछले जन्म का तो पता नहीं पर इस जन्म पर सिर्फ इतना मैं कहूँ

मैं वो पत्ता हूँ जो अपने साख से टूट चूका है वापस लौटना मुमकिन नहीं

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मैं तेरा दर्द क्या ले सकूँ तेरी आँखों में दीखता है तेरे दिल का हर जख्म

इन लफ्जों की क्या बिसात के तेरे दिल का दर्द बयां कर दे

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मुहब्बत तो अब भी है तुमसे फर्क सिर्फ इतना है

तब दिल लगा बैठे थे अब दिल लगाना पड़ता है

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कल की रात मुझ पर भारी गुजरी

जो तेरी यादें मेरे अन्दर ही अन्दर घुटती रही

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ये गलत फैहमी भी क्या खूब हुई है मुझसे

मजाक मजाक में हम मुहब्बत तक कर बैठे

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जो भी सुकून था मेरी इस ज़िन्दगी में अब तलक

तेरी यादें आई और उसमे आग लगा गयी

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16 विचार “मेरे कलम से…&rdquo पर;

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