ज़िन्दगी – LIFE Part 2

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मैं भी सबकी तरह संघर्ष कर रहा था अपने भविष्य की लिए उस भविष्य के लिए जो कभी है ही नहीं यह इस लिए कह रहा हूँ की वस्ताविकता में भविष्य होता ही नहीं भविष्य एक कल्पना मात्र है जो ऊमीद से बनती है और फिर उस ईमारत के ढ़ह जाने का डर हमे उस भविष्य की लिए इस संघर्ष में झोंक देता है किसी इंधन की तरह हम वर्तमान जलते रहते है धूँ धूँ करके चारो तरफ इतना धुआँ है की कुछ नज़र ही नहीं आता , फिर एक दिन अचानक एक जोरदार हवा का झौका आता है और मेरे आस पास मौजुद कोहरे को साफ करता है और फिर मेरी नज़र तुमपे और तुम्हारी नज़र मुझपे पड़ती है और फिर कुछ देर के लिए ये दुनिया हम दोनो से जुदा हो गयी दिमाग किसी मशीन की तरह जोड़ घटाओ करने लगा की तुम्हे कहाँ देखा है कब मिला है और ना जाने क्या क्या और एक दिल है की बस शांत हो गया वो दिल जो हमेशा व्याकुल रहता था अपने वर्तमान और भविष्य को लेकर अब वह बिलकुल शांत था बिलकुल एक झील की तरह वो झील ज़िसमे ना जाने हर रोज़ कितने पत्थर गीरते और लहरे पैदा करते जो उसे पहले से कहीं ज्यादा उथल पुथल कर डालता , मैं नहीं जानता की जो मेरी स्थिती थी उस वक़्त क्या वही तुम्हारी भी थी या फिर तुम कुछ और सोच रही थी विचार रही थी , और फिर जिस तरह तुम सामने आयी वैसे ही चली भी गयी मगर मुझमे बहुत कुछ बदल भी गयी यह बदलाओ मुझमे पहले से था या तुम अभी कर गयी थी जब इसके बारे में सोचता हूँ तो यह पाता हूँ की यह सब तो पहले से ही मुझमे था तुम्हारी तलाश करने की ईक्षा तुमहारे प्रति जो ये आकर्षण है यह पल भर में नहीं जन्मा बल्की पूरा एक बचपन है यह और बात थी की यह आकर्षण वक़्त के साथ अपनी दिशा बदल लिया शायद इस लिए क्योकि वह खुद को बचाना चाहता था या फिर यह भी हो सकता है की वह मुझे बचाना चाहता था चाहे जो भी हो मगर अब मेरी तलाश सिर्फ तुम हो फिर तुम्हारे आस पास रहते हुएे तुम्हे जाना और आखिर कार तुम खुद ही एक दिन मेरे घर चली आयी यह ऐसा था जैसे ईश्वर ने खुद तुम्हे मेरे घर पर डाक भेज दिया हो मेरी ख़ुशी का पिटारा जो बचपन में मुझसे खो गया था या फिर दूर कर दिया गया वो तुम हो जिससे मुझे बेतहासा ख़ुशी मिलती है , मगर सवाल यह भी था के क्या तुम्हे भी वो महसूस होता है जो मैं तुम्हारे प्रति करता हूँ मगर मेरे हर बार पुछने के बावजुद कभी तुमने ईजहार ही ना किया बस हर बार हंस के टाल जाती और फिर एक रोज़ तुम फिर चली गयी बिना कुछ कहे बिना कुछ बताये पिछे छोड़ गयी तो बस एक खत और उस खत में चंद अल्फाज मगर तुम्हारा वो खत मुझे ख़ुशी देता है और ऊमीद भी और मुझे यकीन है की एक ना एक दिन मैं तुम्हे तलाश लूँगा और फिर तुम्हे कहीं नहीं जाने दूँगा मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता के तुम मेरी होगी की नहीं मैं बस इतना चाहता हूँ की बाकी की ज़िन्दगी में तुम मेरे पास रहो और उम्र के सभी पडाओ से होते हुएे एक दिन हम बूढे हो जाये और बस एक दिन यह सांस आहिस्ते से बस चुप चाप खामोश हो जाये और यह जब हो तो तुम मेरे करीब रहना बस इतना ही

तुम्हारे वो लफज जो हम दोनो के लिए कहे….

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तुमसे मिल के जो ख़ुशी मिलती है मुझे
ऐसी ख़ुशी मुझे कहीं और कहा हाशिल

डर लगता है मुझे की अपनी ख़ुशी की खातिर
तेरी खुशियों को जला कर राख ना कर डालूँ

Image Credit:- Google

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© 2017 Md Danish Ansari

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