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इस सूरज की भी अजीब कहानी है रोज़ पूरब से सफर शुरू करता है और एक ही मंजिल पश्चिम, इसके बावजुद हर रोज़ सबसे पहले उठता और पहले की तरह बिलकुल चमकता दमकता हुआ फिर से उसी सफर में निकलता है लेकिन जब निकलता है उसी सफर पे जो उसने ना जाने कितने अरबो बार किया हो लेकिन उसे यह पता है की उसके निकलने से अनगिनत घटनाये होती है बहुत से लोगो की उम्मीदे होती है यह सब कुछ काल में चलता रहता है बिना रुके बिना थके यह सब होता है यह हमें प्रेरित भी करता है की चाहे कुछ भी हो जाये कितनी भी बाधाये आ जाए हमे चलते रहना है सुख दुख हँसी खुशी जन्म मृत्यु हर हाल में बस चलते रहना है !
कुछ इसी तरह की हमारी मोहब्बत भी है हम साथ रहे लड़े नाराज हुये मनाये हँसे रोये गाये मुस्कुराये और एक दिन बिछड़ गए इसके बावजुद सब कुछ वैसा ही चलता रहा मैं भी चल रहा हूँ और तुम भी चल रही हो बोझ लिए हुये ज़िम्मेदारी का इसे उतार के फेकना भी आसान है और बहुत मुश्किल भी अगर स्वार्थ में अंधे हो जाये या सिर्फ अपनी खुशी के बारे में सोचे तो यह बहुत आसान है लेकिन फिर एक पक्षतावा दिल में होगा की ये हमने क्यों नहीं किया मगर इसके साथ भी यह शुकुन भी होगा की हमने जो भी किया अपने खुद के फैसले के तहत किया भले ही उसमे हमारी खुशी नहीं थी फिर भी हमने ये किया ताकी हमारे अपने खुश रहे !
हो सकता है कुछ लोग यह कहे की हम कायर थे पर सच यही था की ना तो तुम कायर थे और ना कभी हम, बल्की सच तो यह है की बहुत हिम्मत चाहिए अपने फैसलो पे खरा उतरना वो भी ऐसे फैसले जो हमने खुद के खिलाफ और दुसरो के हक़ में हो !
अगली बार जब लोग तुम्हे कायर कहे तो बस उनकी आँखों में देखना उनकी निगाहें झुक जायेंगी क्योकि उन्हे पता है तुम सही हो !
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© Md Danish Ansari
Sundar vichhar 😊😊👍
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हमारा मिलन एक संयोग था,
बिछड़ना भी संयोग,
बहुत ही खूबसूरती से लिखा है।
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SUKRIYA
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बिलकुल सही ।
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sukriya
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बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति हुई है आपकी लेखनी से लिखे शब्दों में।
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sukriya rajni ji
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Bhut achi bat likhi hai
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